Last modified on 6 जून 2010, at 16:27

किसी क्षण / मुकेश मानस

Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:27, 6 जून 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मर गई चाची
जैसे मरते हैं और लोग

मर जाएंगे वो सब
जिनके साथ
मैं आज खेलता हूँ
लड़ता-झगड़ता हूँ
जिन्हें खूब प्यार करता हूँ

एक दिन
मर जाऊंगा मैं भी
जैसे मर जाएंगे बाकी लोग
1985