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फ़रमान / सुशील राकेश

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मारूती वैन की छत पर लगा
एक बड़े मुँह वाला लाउडस्पीकर - तना हुआ
कुछ तेज आवाज़ में / जैसे तेजाब फेकता हुआ
आदेश / आक्रोश को पीते हुए
उगलता हुआ - मेरे मुहल्ले की
पतली-पतली सडकनुमा गली से गुज़रा
कुछ खजुवैल कुत्ते
द्राम की लैम्पों-सी पिपराती
आस-पास की औरतों के आगे-पीछे
चिपके 'भौं-भौं' की आवाज को
जुलूस जैसे आगे-आगे कुदा रहे थे ।
कह रहा वह भोंपू-
'कल फूलमती मंदिर के पास
बिजली अधिकारियों का एक कैम्प लगेगा
जिसने बिल नहीं किया जमा
या बिल में कुछ गडबडी है
उस कैंप में आयें
और सुधरवा कर अपना बिल जमा कर दें
अन्यथा बिजली काट दी जायेगी ?
यह ऐसा ऐलान/जैसे अंग्रेजों के समय में
उनके हुक्मरान भारतीय जनता पर
बरसाया करते थे ।

इस पतली सड़क पर बच्चों के साथ
बहुत दिन गुजारे/या कहें कि अब
उन बच्चों के बच्चे बडे होकर
गटागट मसाला खाते/थूकते
और मामूली-मामूली बातों में
अपच्चब्दों का जलाते अलाव ।
गली के बडे-बुढे भी तापते हैं
मुझे नहीं मालूम की अगली पीढी
इतनी संवादहीन-विहिन मुद्रा के बीच
क्यों जीने लगी है ?
बिजली विभाग के हुक्मरानों का
अंग्रेजियत फरमान
सब गली के बच्चों को चुभा
औरतों का घंटाघर हिलने लगा
छुटवा/छुट्टू/मंगला/राम औतरवा
सब इस फेरी की मुनादी पर हंसे
और बिजली वालों को गालियां देते
परिंदे की तरह उडे-
साले ! पंद्रह दिन से ट्रांसफरमवा खराब
होई गवा/अंधेरे में सड रहे/पानी को तरसे
आदि-आदि सहज भाव/गंदे शब्दों के
पुल पर सरकने लगा बतकहा पन ।
सब गली के सिनेमा वाले मोड की
लकडी वाली लगडे की दुकान पर
जुलूस की द्राक्ल में सिमट कर
आक्रोश व्यक्त करते हुए
लग रहा था कि सब चील-सा
मंडराते हुए बिजली विभाग को
अभी चट करेंगे ।

बड़े मुंह वाला लाउडस्पीकर चल दिया
सुबह की तरह
सब के माथे पर दोपहर-सा
चढ गया पारा
सब बेलौस होकर चरस/गांजा/भांग
से करते सामाजिक उत्थान
सारे कामगार इस प्रदुषण से लबालब हैं
खूब फलफूल रहा है
लकडी वाली दुकान का लगडा ।
कहते हैं कि इस गली के दोनों पाटों पर
बने परिदों के घोसले में
नहीं है कोई मीटर
बस कटिया-दुदुभीं से
बिजली संवाद स्थापित करते हुए
एक पांवधर
और दूसरे पांव से शहर नापते हैं ।
लगा तेजाब की बूदें
छिटक कर हर घर को जला देगी
तिलमिलायेगा फैला ठीकरा ।
बहुत खाली हो गया है
देच्च का सम्मोहन
बस मंहगाई से लबरियाते बच्चे
बिजली विभाग को चूना लगाते खजुहट कुत्ते
मेरा अनुमान है/इसी का परिणाम है
अंग्रेजियत फरमान
मछुवारे का फैल रहा जाल
कौन जाने ? कौन मछली ?
फंसेगी इस जाल में ।