Last modified on 15 जून 2010, at 08:16

एक पैग़ाम / परवीन शाकिर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:16, 15 जून 2010 का अवतरण ("एक पैग़ाम / परवीन शाकिर" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वही मौसम है
बारिश की हँसी
पेड़ों में छन छन गूँजती है
हरी शाख़ें
सुनहरे फूल के ज़ेवर पहन कर
तसव्वुर में किसी के मुस्कराती हैं
हवा की ओढ़नी का रंग फिर हल्का गुलाबी है
शनासा<ref>परिचित</ref> बाग़ को जाता हुआ ख़ुशबू भरा रस्ता
हमारी राह तकता है
तुलू-ए-माह<ref>सूर्योदय</ref> की साअत<ref>समय या घड़ी</ref>
हमारी मुंतज़िर है

शब्दार्थ
<references/>