Last modified on 21 जून 2010, at 22:54

शून्य / रमेश कौशिक

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:54, 21 जून 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पहले मैं सोचा करता था
नहीं शून्य का कुछ भी मतलब
लेकिन इसमें कितनी ताक़त
इसको जान गया हूँ मैं अब।

अगर एक के साथ शून्य हो
तो पूरे दस बन जाएँगे
दस के साथ लगाओगे यदि
तो पूरे सौ कहलाएँगे।

सौ के संग भी एक शून्य हो
तो हज़ार यह बन जाते हैं
एक शून्य यदि और यहाँ हो
दस हज़ार फिर कहलाते हैं।

कुछ भी नहीं समझते जिनको
साथ बिठा उनको देखोगे
तो दस गुनी शक्ति अपने में
निश्चय बढ़ी हुई पाओगे।