भीगी-भीगी पलकें हैं
आंखों में आंसू गहरे
बिखरे-बिखरे से जज़बात
जज़बातों का दरिया है
बुझी-बुझी सी शमां है कोई
और पिघलते अरमां है
इसे महज़ एक ख़त ना समझना
इसमें सारी उम्र बयां है
भीगी-भीगी पलकें हैं
आंखों में आंसू गहरे
बिखरे-बिखरे से जज़बात
जज़बातों का दरिया है
बुझी-बुझी सी शमां है कोई
और पिघलते अरमां है
इसे महज़ एक ख़त ना समझना
इसमें सारी उम्र बयां है