Last modified on 29 जून 2010, at 14:17

तुमसे-एक / रेणु हुसैन

Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:17, 29 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेणु हुसैन |संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन }} {{KKCatKav…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


तुमसे बिछड़कर लगता है

छोटे से जीवन की खुशियां
चली गई सब साथ तुम्हारे

हर लमहा वीरां, तन्हां सा
तुमको खोजे, तुम्हें पुकारे

जैसे किसी सहरा में दिल ये
राह भटक जाए

उफ्। ये अकेलापन ज़ालिम-सा
बहुत रुलाये, बहुत सताये

वक़्त तो जैसे ठहर ही जाये
नहीं बिताया जाये

कोई सपना बिना तुम्हारे
नहीं सजाया जाये

नींद हमारी बस जाती है
एक तुम्हारी याद में