फूल खिल रहा था
बहुत धूप में भी
फूल खिला रहा
बहुत बारिश में भी
फूल नहीं टूटा
तेज़ हवाओं से भी
एक दिन बारुद जैसी
एक गंध फैली
उसकी जड़ों में पानी जैसा
खून बंट गया
फूल शरमा गया
फूल मुरझा गया
पंखुड़ी-दर-पंखुड़ी बिखर गया
फूल खिल रहा था
बहुत धूप में भी
फूल खिला रहा
बहुत बारिश में भी
फूल नहीं टूटा
तेज़ हवाओं से भी
एक दिन बारुद जैसी
एक गंध फैली
उसकी जड़ों में पानी जैसा
खून बंट गया
फूल शरमा गया
फूल मुरझा गया
पंखुड़ी-दर-पंखुड़ी बिखर गया