धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूं
जव देखता हूं आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूं
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूं
आपना दुख -
यह धरती : मेरी मां !
यह आकाश : मेरा पिता !
अनुवाद : नीरज दइया
धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूं
जव देखता हूं आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूं
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूं
आपना दुख -
यह धरती : मेरी मां !
यह आकाश : मेरा पिता !
अनुवाद : नीरज दइया