Last modified on 4 जुलाई 2010, at 19:55

ध्यान / गोबिन्द प्रसाद

Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:55, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / ग…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सुरति के समुद्र में डूब रहा
हूँ मैं
और मेरे ध्यान में उतर रही हैं
तुम्हारी आँखें
अभी
सुब्हा नहीं हुई है
काश! उजाले की जगह तुम आती
शब्द
शब्द
खिल उठता भोर का सपना