काल का हुआ इशारा
लोग हो गए गोरधन
हद कोई जब माने नहीं अहम
आंख तरेरे बरसे बिना फहम
तब बांसुरी बजे
बंध जाय हथेली
ले पहाड़ का छाता
जय-जय गोरधन!
हठ का ईशर जब चाहे पूजा
एक देवता और नहीं दूजा
तब सौ हाथ उठे
सड़कों पर रख दे
मंदिर का सिंहासन
जय-जय गोरधन!
सेवक राजा रोज रंगे चोले
भाव-ताव कर राज धरम तोले
तब सौ हाथ उठे
उठ थरपे गणपत
गणपत बोले गोरधन
जय-जय गोरधन!