Last modified on 8 जुलाई 2010, at 03:17

तो / लीलाधर जगूड़ी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:17, 8 जुलाई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब उसने कहा
कि अब सोना नहीं मिलेगा
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
पर अगर वह कहता
कि अब नमक नहीं मिलेगा
तो शायद मैं रो पड़ता ।