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कहनानन्द / वीरेन डंगवाल
Pradeep Jilwane
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अपनी ही देह
मजे देवे
अपना ही जिस्म
सताता है
यह बात कोई
न नवीं, नक्को
आनन्द जरा-सा
कहन का है.
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