सामने से कोई आता है
कौन है जो आता है?
एक आकृति
जिसके चेहरे पर
काले-सफ़ेद बाल
घनी दाढ़ी
छोटे-छोटे हाथों से
नोंची जा सकती है यह दाढ़ी
हू हू हू की आवाज़ें
निकालता है
यह दाढ़ी एक कवि की है
तीता का दाढ़ी नोंचना
और
गोद में उछलना परिन्दे-सा
और कविता करना
सब एक है
जब हँसता है तीता
कवि
दाढ़ी सहलाते हैं
कवि की टिप्पणी
इस कविता में जिन कवि का ज़िक्र है, वे हैं कवि शलभ श्रीराम सिंह