Last modified on 10 जुलाई 2010, at 13:02

अब प्रीति करी तौ निबाह करौ / भारतेंदु हरिश्चंद्र

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:02, 10 जुलाई 2010 का अवतरण ("अब प्रीति करी तौ निबाह करौ / भारतेंदु हरिश्चंद्र" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अब प्रीति करी तौ निबाह करौ
अपने जन सों मुख मोरिए ना ।
तुम तो सब जानत नेह मजा
अब प्रीति कहूँ फिर जोरिए ना ।
'हरिचंद' कहै कर जोर यही
यह आस लगी तेहि तोरिए ना ।
इन नैनन माहँ बसो नित ही
तेहि आँसुन सों अब बोरिए ना ।