Last modified on 19 जुलाई 2010, at 12:32

कपाल-क्रिया / लीलाधर मंडलोई

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:32, 19 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मां की चिता
बस चिटकती लकडियों की गूंज थी
समय हो चला था
पंडित ने कहा
'कपाल क्रिया'
और थमा दिया एक बेडौल लम्‍बा मोटा बांस

जाने क्‍या हुआ
मैंने थाम लिया
भाई का हाथ
और बोला हठात्
'जरा हौले से'
और बन्‍द कर लीं आंखें
00