Last modified on 20 जुलाई 2010, at 01:46

कर्मनाशा / संतोष मायामोहन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:46, 20 जुलाई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं नहाना चाहती हूँ
कर्मनाशा नदी में,
मैं धोना चाहती हूँ
अपने सभी -
पाप और पुण्य -
मैं बनना चाहती हूँ -
मनुष्य
और देखना चाहती हूँ -
अपने भीतर की
मानवता ।

अनुवाद : नीरज दइया