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दोस्त / इदरीस मौहम्मद तैयब

उसकी गरदन के तिल से
मेरा याराना हो गया है
मैं कभी-कभी उसका अभिवादन करता हूँ
लेकिन मैं कभी भी
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।

रचनाकाल : 14 मार्च 2002