उसकी गरदन के तिल से
मेरा याराना हो गया है
मैं कभी-कभी उसका अभिवादन करता हूँ
लेकिन मैं कभी भी
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।
रचनाकाल : 14 मार्च 2002
उसकी गरदन के तिल से
मेरा याराना हो गया है
मैं कभी-कभी उसका अभिवादन करता हूँ
लेकिन मैं कभी भी
भावविभोर होकर उसे सलाम नहीं ठोंकता ।
रचनाकाल : 14 मार्च 2002