Last modified on 22 जुलाई 2010, at 17:57

गुड़िया-6 / नीरज दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:57, 22 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>चेहरे पर नहीं दुख है भीतर विशाल तुम्हें ब्याह के छोड़ दिया उसने…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चेहरे पर नहीं
दुख है भीतर विशाल
तुम्हें ब्याह के
छोड़ दिया उसने
रोती भी नहीं
गुड़िया हो तुम !

भीतर से गीली हो
फिर क्यों हो
बाहर एकदम सूखी ?