Last modified on 22 जुलाई 2010, at 17:58

गुड़िया-8 / नीरज दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:58, 22 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>दिन में होती है बहुत चहल पहल गुड़िया का मन बहल ही जाता है रात मे…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दिन में होती है
बहुत चहल पहल
गुड़िया का मन
बहल ही जाता है

रात में अकेली
तारे गिनती है
कभी डालती है डोरे
चाँद पर !