प्यार एक फूल्है
फूल तो प्यार है
हम-तुम तो बस उसकी दो पँखुरियाँ हैं
हमें गूँथे हुए है जो गंध
वह हमारी नहीं
उसकी है !
वह रहेगी
जब हम झर जाएँगे !
रचनाकाल : 17 मार्च 1966
प्यार एक फूल्है
फूल तो प्यार है
हम-तुम तो बस उसकी दो पँखुरियाँ हैं
हमें गूँथे हुए है जो गंध
वह हमारी नहीं
उसकी है !
वह रहेगी
जब हम झर जाएँगे !
रचनाकाल : 17 मार्च 1966