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शांति सुमन / परिचय

जन्म : १५-०९-१९४२, कासिमपुर, सहरसा (बिहार) । एम ए, पीएचडी । शोध प्रबंध :'मध्यवर्गीय चेतना और हिंदी का आधुनिक काव्य'।

मुजफ़्फ़रपुर के महन्त दर्शन दास महिला कालेज में हिन्दी की विभागाध्यक्ष (अवकाशप्राप्त)।

प्रकाशित कृतियाँ

नवगीत संग्रह

ओ प्रतीक्षित (1970), परछाई टूटती(1978), सुलगते पसीने (1979), पसीने के रिश्ते(1980), मौसम हुआ कबीर(1985), मेघ इंद्रनील(1991, मैथिली गीत-संग्रह), तप रहे कचनार (1997), भीतर-भीतर आग (2002), एक सूर्य रोटी पर (2006)

कविता संग्रह

समय चेतावनी नहीं देता(1994), सूखती नहीं वह नदी (2009).

उपन्यास

जल झुका हिरन।

आलोचना

मध्यमवर्गीय चेतना और हिन्दी का आधुनिक काव्य (1993)।

सम्पादन

सर्जना, अन्यथा, भारतीय साहित्य तथा कंटेम्पररी इंडियन लिट्रेचर ।

पुरस्कार

साहित्य सेवा सम्मान, कवि रत्न सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान

वर्तमान पता

36, ऑफ़िसर्स फ्लैट्स, जुबली रोड, नार्दर्न टाउन, जमशेदपुर - 831001, झारखंड । दूरभाष - 9430917356.


एक और परिचय

15 सितंबर, 1944 को कोसी अंचल के एक गॉंव कासिमपुर (सहरसा) में जन्‍मी शांति सुमन ने अपनी किशोरावस्‍था से ही कविताऍं लिखना शुरू कर दिया था, जब वो आठवीं कक्षा में पढ़ती थीं। उनकी पहली गीत-रचना त्रिवेणीगंज, सुपौल से प्रकाशित होनेवाली पत्रिका 'रश्मि' (संपादक : तारानंद तरुण) में छपी थी। लंगट सिंह कॉलेज, मुजफ्फरपुर से हिन्‍दी में स्‍नातकोत्‍तर उपाधि प्राप्‍त शांति सुमन ने उसी कॉलेज में आजीविका भी पाई और 33 वर्षों तक प्राध्‍यापन के बाद वहीं से वे प्रोफेसर एवं हिन्‍दी विभागाध्‍यक्ष के पद से 2004 में सेवामुक्‍त हुईं। विषय पर पीएच. डी. उपाधि प्राप्‍त डॉ; शांति सुमन के हिन्‍दी में अब तक दस नवगीत संग्रह--'ओ प्रतीक्षित' (1970), 'पर‍छाईं टूटती' (1978), 'सुलगते पसीने' (1979), 'पसीने के रिश्‍ते' (1980), 'मौसम हुआ कबीर' (1985, 1999),'तप रहे कँचनार' (1997), 'भीतर-भीतर आग' (2002), 'पंख-पंख आसमान' (2004), 'एक सूर्य रोटी पर' (2006) एवं 'धूप रंगे दिन' (2007) , और 'मेघ इंद्रनील' (1991) नामक मैथिली गीत संग्रह प्रकाशित हैं। इनके अतिरिक्‍त उनका एक हिन्‍दी उपन्‍यास 'जल झुका हिरन' (1976) और शोधप्रबंध पर आधारित आलोचनात्‍मक पुस्‍तक 'मध्‍यवर्गीय चेतना और हिन्‍दी का आधुनिक काव्‍य' (1993) प्रकाशित हैं। 'सर्जना' (1963-64, तीन अंक प्रकाशित), 'अन्‍यथा' (1971) और 'बीज' नामक पत्रिकाओं के संपादन से संबद्ध रही शांति सुमन ने 1967 से 1990 के दौरान कवि सम्‍मेलनों एवं मंचों पर अपनी गीत-प्रस्‍तुति से अपार यश अर्जित किया। अपनी धारदार गीत सर्जना के लिए हिन्‍दी संसार मे विशिष्‍ट पहचान रखनेवाली डॉ. शांति सुमन को को विभिन्‍न पुरस्‍कार-सम्‍मानों से विभूषित किया गया है, जिनमें शामिल हैं--'भिक्षुक' (मुजफ्फरपुर का पत्र) द्वारा सम्‍मानपत्र, बिहार राष्‍ट्रभाषा परिषद का साहित्‍य सेवा सम्‍मान, हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन (प्रयाग) का कविरत्‍न सम्‍मान, बिहार सरकार के राजभाषा विभाग का महादेवी वर्मा सम्‍मान, अवंतिका (दिल्‍ली) का विशिष्‍ट साहित्‍य सम्‍मान, मैथिली साहित्‍य परिषद का विद्यावाचस्‍पति सम्‍मान, हिन्‍दी प्रगति समिति का भारतेन्‍दु सम्‍मान एवं सुरंगमा सम्‍मान, विंध्‍य प्रदेश से साहित्‍य मणि सम्‍मान, हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन का साहित्‍य भारती सम्‍मान (2005) तथा उत्‍तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान का सौहार्द सम्‍मान (2006)