Last modified on 6 अगस्त 2010, at 11:41

माहिये-३ / रविकांत अनमोल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:41, 6 अगस्त 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

११
भीगी सी फ़ज़ाएँ हैं।
आँसू आँखों में,
होंटों पे दुआएँ हैं।
१२
अलमस्त हवाएँ हैं
मौसम भीगा सा,
खुशरंग फ़ज़ाएँ हैं।
१३
ख़ुशरंग गुलाबों सा ।
आँख में रहता है
तेरा रूप है ख़ाबों सा ।
१४
पत्तों का है रंग पीला ।
अश्क़ों की बारिश ने
चिट्ठी को किया गीला ।
१५
दिन रैन बरसते हैं ।
दीद की चाहत में
दो नैन तरसते हैं ।