Last modified on 8 अगस्त 2010, at 16:20

तनहाइयाँ-5 / शाहिद अख़्तर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:20, 8 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शाहिद अख़्तर |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> जाने वाले की या…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जाने वाले की याद
दिल के बुतख़ाने में सजा लो
वोह चला जाए भी तो
एक दर्द बन कर दिल में रहेगा
दर्द का यह रिश्‍ता
इतना अज़ीज़ क्‍यों होता है हमें
कि हम उसे तोड़ना नहीं चाहते ?