जो लोग
अब तक ग़र्क़ हो चुके हैं
या मारे जायेंगे भविष्य के दंगों में
आइये उनकी याद में
रोप दें कोई फूल
अपने भीतर
ताकि उसकी खुशबू महक सके
वहाँ तक
जहाँ तक इंसानी वजूद की
आख़िरी हद बसती है
2002
जो लोग
अब तक ग़र्क़ हो चुके हैं
या मारे जायेंगे भविष्य के दंगों में
आइये उनकी याद में
रोप दें कोई फूल
अपने भीतर
ताकि उसकी खुशबू महक सके
वहाँ तक
जहाँ तक इंसानी वजूद की
आख़िरी हद बसती है
2002