Last modified on 28 अगस्त 2010, at 18:56

वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता / ग़ालिब

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता !

हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !