रचनाकार: केदारनाथ अग्रवाल
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
चुप-बोलती
चांदनी में,
बोलता है चांद
आसमान का
नीलम-रहस्य
ज़मीन में
खोलता है चांद ।
(पंख और पतवार' नामक कविता-संग्रह से)
रचनाकार: केदारनाथ अग्रवाल
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चुप-बोलती
चांदनी में,
बोलता है चांद
आसमान का
नीलम-रहस्य
ज़मीन में
खोलता है चांद ।
(पंख और पतवार' नामक कविता-संग्रह से)