Last modified on 28 फ़रवरी 2008, at 09:51

फूल-से दिन / केदारनाथ अग्रवाल

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:51, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गेंदे के फूल-से

फूले हैं दिन,

आओ तुम आओ तो

गुलाब भी खिलें,

बाहों से बाहों में एक हो मिलें,

मिलने के फूल-से

फूले हैं दिन ।


('पंख और पतवार' नामक कविता-संग्रह से)