रात कल गहरी नींद में थी जब एक ताज़ा सफ़ेद कैनवास पर आतिशी लाल सुर्ख रंगों से मैंने रोशन किया था इक सूरज सुबह तक जल गया था वो कैनवास राख बिखरी हुई थी कमरे में मेरे...!