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अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रने वाला है / शहरयार

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अब वक़्त जो आने वाला है किस तरह गुज़रनेवाला है
वो शक्ल तो कब से ओझल है ये ज़ख़्म भी भरनेवाला है

दुनिया से बग़ावत करने की उस शख़्स से उम्मीदें कैसी
दुनिया के लिए जो ज़िन्दा है दुनिया से जो डरने वाला है

आदम की तरह आदम से मिले कुछ अच्छे-सच्चे काम करे
ये इल्म अगर हो इंसाँ को कब कैसे मरने वाला है

दरिया के किनारे पर इतनी ये भीड़ यही सुनकर आई
इक चाँद बिना पैराहन के पानी में उतरने वाला है