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तुम्हारा आना / चित्रा सिंह

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तुम्हारा आना, आकर
मेरी ज़िन्दगी के केनवास पर
खिंची आड़ी-तिरछी
लकीरों को जोड़ना
सलीके से,

भरना उनमें रंग
जिससे बनी भी ख़ूबसूरत-सी
तस्वीर, तस्वीर जिसकी
शक्ल बिल्कुल मेरी-सी है

और वो रंग तुम्हारे मैंने
भर लिए हैं, अपनी माँग में ।