ख्याल ,सांस नज़र,सोच खोलकर दे दो लबों से बोल उतारो,जुबां से आवाज़ें हथेलियों से लकीरें उतारकर दे दो हाँ, दे दो अपनी 'खुदी' भी की 'खुद' नहीं हो तुम उतारों रूह से ये जिस्म का हसीं गहना उठो दुआ से तो 'आमीन' कहके रूह दे दो