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सच / लीलाधर मंडलोई

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रेत के सजीले घरधूले
बनाए जिन्‍हें हमने
बचपन में

तोड़े अपनों ने
कभी सनक में
कभी अनजाने

इस तरह जाना हमने
घरों के टूटने का सच