Last modified on 30 सितम्बर 2010, at 21:35

दोहे / निदा फ़ाज़ली

Hemendrakumarrai (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:35, 30 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जीवन भर भटका किए, खुली न मन की गाँठ उसका रस्ता छोड़कर, देखी उसकी बाट