Last modified on 23 अक्टूबर 2010, at 15:21

दर्पण / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:21, 23 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

न देख तू मुझे
मेरी आँखों से घूरकर,
तिरछी भवें ताने;
डरता हूँ मैं तुझसे
ओ मेरे दुश्मन शीशे!

रचनाकाल: ०४-०२-१९६१