ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो काग़ज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी कविता कोश में सुदर्शन फ़ाकिर