Last modified on 31 अक्टूबर 2010, at 03:37

नारो / विनोद स्वामी

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:37, 31 अक्टूबर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>गळी रै कादै कनै भींत पर लिख्योड़ो नारो पांयचा टांग्यां खड़्यो …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गळी रै कादै कनै
भींत पर लिख्योड़ो नारो
पांयचा टांग्यां खड़्यो है-
'बूंद-बूंद पाणी बचाओ।'