Last modified on 29 मई 2007, at 23:28

अध्यापक से / रघुवीर सहाय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 29 मई 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: रघुवीर सहाय Category:कविताएँ Category:रघुवीर सहाय ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकार: रघुवीर सहाय

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


मरने से पहले घर एक बार जाने की आकांक्षा

साहित्य के अंदर कितना पिटा हुआ वाक्य बन जाती है ।


अरे भले आदमी, अध्यापक,

लेखक की यह जीवन भर की कमाई थी

करुणा से स्वर कंपाय तुमने बहाय दी ।


('कुछ पते कुछ चिट्ठियां' नामक कविता-संग्रह से )