प्रत्येक
शब्द के बीज में है -
अर्थ का वृक्ष ।
वह उगेगा
जव मिलेगी
अनुभव की धारा
संवेदना का जल ।
निगूंढ़
बजा कर
एक गीत की धुन
रख दिया सितार को
यथास्थान
गूंगे वादक ने ।
नहीं पकड़ी
ऊपर उठी हुई अनुगूँज
बहरे आकाश ने
लेकिन
पकड़ लिया उसे
गली में बैठे हुए
अँधे सूरदास ने ।
अनुवाद : मोहन आलोक