वह हर गली नुक्कड़ पर तन कर खड़ा था ।
लोग आते जाते सिर नवाते, चद्दर चढ़ाते उसको ।
दीमक ने अपना महल बना लिया था अन्दर ही अन्दर उसके ।
मैंने जब वरदान माँगा,
तो वह ढह गया ।
वह हर गली नुक्कड़ पर तन कर खड़ा था ।
लोग आते जाते सिर नवाते, चद्दर चढ़ाते उसको ।
दीमक ने अपना महल बना लिया था अन्दर ही अन्दर उसके ।
मैंने जब वरदान माँगा,
तो वह ढह गया ।