Last modified on 10 नवम्बर 2010, at 21:16

केला / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:16, 10 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

समय बदला
कटे पत्ते
बड़े लम्बे हौसले के :
जड़ें गाड़े खड़ा केला
अब अकेला
तना भर है,
जिए चाहे जिए जैसे,
बना भर है,
हरा हरदम गया
गम से नहीं दहला

रचनाकाल: ०४-०४-१९६८