Last modified on 12 नवम्बर 2010, at 12:41

हिज्र /जावेद अख़्तर

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:41, 12 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जावेद अख़्तर |संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर }} [[Category:…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कोई शेर कहूँ

या दुनिया के किसी मोजुं पर

में कोई नया मजमून पढूं

या कोई अनोखी बात सुनूँ

कोई बात

जो हंसानेवाली हो

कोई फिकरा

जो दिलचस्प लगे

या कोई ख्याल अछूता सा

या कहीं कोई मिले

कोई मंजर

जो हैरां कर दे

कोई लम्हा

जो दिल को छू जाये

मै अपने जहन के गोशों मै

इन सबको सँभाल के रखता हूँ

और सोचता हूँ

जब मिलोगे

तुमको सुनाउगां