Last modified on 14 नवम्बर 2010, at 00:21

लू / चंद्रसिंह बिरकाली

कोमल-कोमल पांखडया, कोमल-कोमल पान !
कोमल-कोमल बेलडया, राख्या लुआं ध्यान !!

लुआं लाग पिळीजिया, आमाँ हाल-बेहाल !
पीजूं मरुधर पाकिया, ले लाली जूं लाल !!