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बसन्त !/ कन्हैया लाल सेठिया

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मांडै
रंगीलो चैत
बणराय री हथेळ्यां में मैंदी,
घालै
मैक स्यूं सैंगद पून
चौफेर घूमर,
मंडग्यो रोही रै आंगणियै
सुरंगो मोछब,
अगेरै
गीतरेण चिड़कळ्यां
मिसरी मधरा गीत,
नाचै
सूरज री सोनल किरणां में
पींपळ री
तांबै वरणी कूंपळ्यां,
लटकै
जाळां रै
गुलाबी मोत्यां सा जाळोटिया,
भणकारै
अळूंघती कळ्यां रै कानां में
तिरसाया भंवरा,
उडै
हरियल सुआ
लियां रतनाळी चूंचां में
दाड़म रा मादक दाणां,
भरै
अचपळा मिरघळा चौकड्यां
मूंडै में दाब्यां काची दूब,
टैरै
रूपला
रातां
अलगोजो मूमल रो गीत,
सुण‘र बिलखै भौम
निसकारा नाखै गिगनार !