Last modified on 24 नवम्बर 2010, at 13:26

उन्याळो !/ कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:26, 24 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीलटांस / कन्हैया ल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)



समझ‘र
आभै रै मून रै
निमळाई
माथै पर चढ़ग्यो
अनीतो सूरज,
सुण‘र
सूनी रोही में
आपरी बोली रा पडूतर
किलंग किलखै
भोळा तीतर,
झिकोळै
लू रा खाथा लपका
मोरीयां री लाम्बी पूंछां,
कुतरै
तिरसाई गिलारयाँ
रूंखां री काची कूंपळ्यां,
रगड़ै
भख नै भरमाण तांईं
आपसरी में चूंचां
नीमड़ै पर बैठा
कुचमादी कागला,
उठै
भोम रै अन्तस नै
मथ मथ‘र
डीघा बघूळिया,
करै
ईंया पूरी
निरजण उजाड़ में
बैठ्यो उन्याळो
आप री जूण !