Last modified on 29 नवम्बर 2010, at 02:36

अभ्यास / सांवर दइया

ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठंड में
बै आवै
अभ्यास सारू

सारी-सारी रात
धोरां में धमाका
धूजै रेत

डरूं-फरूं लुगायां
कांई हुवैला रै सोच में मिनख
धक-धक करै छाती
चिरळी मार जागै
घरां में टाबर
संभाळै मा

देखै अर डरै
राजा बेटै रो बिछाणो
मूत सू आलो !