सोनलिया रेत
मांडती है हवा
लहरें
नीर की ।
छोटी टेकड़ियाँ
धारै मछली रूप
मरुधर की स्मृति में है
सागर ।
अनुवाद : नीरज दइया
सोनलिया रेत
मांडती है हवा
लहरें
नीर की ।
छोटी टेकड़ियाँ
धारै मछली रूप
मरुधर की स्मृति में है
सागर ।
अनुवाद : नीरज दइया