ललित जी, दिनकर जी की एक ही कविता को दो अलग-अलग शीर्षकों नमन करूँ मैं और मेरे प्यारे देश के अन्तर्गत कविता कोश में उपलब्ध है, मेरे विचार से इनमें से एक को हटाया जा सकता है. 'नमन करूँ मैं' कविता कोश में पहले जोड़ी गई थी और 'मेरे प्यारे देश' बाद में.
--अमित ०९:०७, २ जून २००७ (UTC)