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चिड़ियाघर / शिवराज भारतीय

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जमनी ने मगनी से पु़छा,
आज बहिन क्यूं चली शहर को।
मगनी बोली बड़े प्रेम से,
आओं चलें हम चिड़ियाघर को।
चिड़ियाघर में नटखट बन्दर,
भोला भालू भी होता है।
जंगल का सम्राट सिंह भी,
पिंजडे़ में चक्कर खाता है।
खरहा, हिरण, चतुर लोमड़ी,
जम्बो हाथी से मिलने को।
आओं चलें हम चिड़ियाघर को।
रंग बिरंगे प्यारे-प्यारे,
दुनियां भर के पंछी सारे।
कुकडूं कूं और गुटरूं गूं का,
पीहू-पीहू संगीत पुकारे।
मोर, कपोता, हरियल तोता,
मधुर पपीहे से मिलते को।
आओं चलें हम चिड़ियाघर को।
नन्हीं जमनी सुनती जाती,
मगनी की चुटकीली बातें।
भोलेपन से इठलाकर के,
पूछा मगनी से सकुचाती।
छोटी सी चिड़िया के घर में,
कैसे आता जम्बो हाथी ?
मेरे बात समझ ना आती।