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संगत / शिवराज भारतीय

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जलमतो टाबर
जाणै पालर पाणी
मतैई सांचरै
दूजां नै देख‘र
होठां माथै मुळक
जात-बिरादरी
ऊंच-नीच
अमीरी-गरीबी
दुराव-फरेब
सैस्युं
साव अळगो
अपणायत रो
अकूंत खजानो
जिको जाणै
फकत
लाड कोड
मेळ-मिळाप
अर
हेत-प्रीत री भासा
जिण रै
सम्बन्धां री सींव
आभै उड़तै
पंखेरू री दांई
अणमाप
जिण रो
ना‘नो सो काळज्यो
परोटल्यै
आखै धरमां नै
आखी भासावां नै
आखै मुल्कां ने
अनै
आखै जगत नै।
पण जलमतो टाबर
जिंयां-जिंयां
मोटो हुवै
आपां री संगत सूं
स्यात् बिंया-बिंयां
छोटो हुवै।