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ओळ्यूं / शिवराज भारतीय

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म्हानैं ठा नीं
कठै गया थे
जावण वाळां री सींव नै
कुण जाण सकै
पण हां
आपरै होवण रो एसास
ओळखीजै
म्हारी चाल-ढाल
म्हारी बोल-चाल
म्हारी बुणगट
म्हारै लोक ब्यौवार
अर म्हारै संस्कारां में।

म्हानैं ठा नीं
नानीसा आपरो नांव
कमला ई क्यूं राख्यो
पण हां
आप में
सुरसत रो अंस होवण रो एसास
ओळखावै
आपरा मीठा मधरा भजन
भागफाटी री
इमरत घोळती रागां
अर रात री मीठी लोरयां में।

म्हानैं ठा नीं
कै म्हानैं
आप रै होवतां थकां
सुख घणो हो
का आपरै
रामसरण होयां पाछै
दुःख
पण हां
सांझ रा
इस्कूल सूं आय‘र
घर में
हेज पावस्यै बछड़ियै दांई
मां....मां... कर
भाज‘र
आपरी सुरग सरीखी झोळी में
बैठण रो सुख
इण जलम में
म्हानैं भळैं नीं मिलै।